8 मार्च को ही क्यों मनाया जाता है अंतराष्ट्रीय महिला दिवस?
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अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस एक वैश्विक त्यौहार है जो महिलाओं के आर्थिक, सांस्कृतिक, सामाजिक और राजनितिक उपलब्धियों को सेलिब्रेट करने का दिन है। दुनिया भर में इस दिन लोग महिलाओं की समानता के लिए एक जुट होकर रैली निकालते हैं। उनकी उपलब्धियों से समाज में उनका योगदान बताते हैं।
हर साल मनाये जाने वाले इस दिन के और भी उद्देश्य हैं- जैसे की महिलाओं की उपलब्धियों का जश्न मानना, उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करना, महिलाओं पर केंद्रित चैरिटी को लेकर चंदा इक्कठा करना।
अंतराष्ट्रीय महिला दिवस 2021 का अभियान विषय है- “चुनौती को चुनो”। एक चुनौतीपूर्ण दुनिया एक सतर्क दुनिया है। और चुनौती से बदलाव आता है। हमे चुनौतियों को चुनना चाहिए और उनका सामना करना चाहिए।

विमेंस डे का इतिहास 100 साल से भी ज्यादा पुराना है। माना जाता है कि साल 1908 में 15 हजार महिलाओं ने न्यूयोर्क शहर में सड़क पर मार्च निकला था। उनकी मांग थी की महिलाओं को वोट डालने का अधिकार मिले साथ ही वेतन ज्यादा मिले और काम करने का समय काम किया जाए। साल भर बाद ही वहां की सोशलिस्ट पार्टी ने पहला राष्ट्रीय महिला दिवस मनाने का फैसला किया। इसके बाद 1910 में कोपनहेगन में एक वीमेन कॉन्फ्रेंस हुयी थी जिसमें क्लेरा जेटकिन नाम की महिला ने इस दिवस को अंतर्राष्ट्रीय स्टर पर मनाने का सुझाव दिया। क्लेरा जेटकिन जर्मन की सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी के विमेंस ऑफिस की लीडर थीं।
1908 में यूके में महिला सामाजिक और राजनीतिक संघ केअनुसार बैंगनी, हराऔर सफ़ेदअंतराष्ट्रीय महिला दिवस के रंग हैं। इसमें बैंगनी न्याय और प्रतिष्ठा का प्रतीक है। हरा रंग आशा और उम्मीद का तथा सफ़ेद रंग शुद्धता का प्रतीक है।

बात करें अगर इस दिवस को 8 मार्च को ही मनाने की तो क्लेरा जेटकिन ने महिला दिवस मनाने के लिए कोई भी खास दिन तय नहीं किया था। साल 1917 में रूसी महिलाओं ने अपने हकों की मांग के लिए हड़ताल की थी। यह घटना 23 फरवरी की थी लेकिन ग्रोगरारियन कैलेंडर में यह दिन 8 मार्च था। तब से हर साल दुनिया भर में 8 मार्च को इंटरनेशनल विमेंस डे मनाया जाता है।
आज पूरी दुनिया में महिलाएं पूरुषों से कदम से कदम मिलाकर चल रही हैं। भारत समेत कई देशों ने महिलाओं के लिए कई कानूनी अधिकार भी बनाएं हैं लेकिन आज भी कई महिलाएं ऐसी हैं जिन्हें इन कानूनी अधिकारों के बारे में जानकारी भी नहीं हैं।

कौन-कौन से खास अधिकार है हर महिला के पास?
समान वेतन का कानूनी अधिकार– पुरूषों की तरह महिलाओं को भी वर्कप्लेस पर समान वेतन का अधिकार है। भारतीय श्रमिक कानून के मुताबिक, किसी भी जगह पर अगर आप काम करती हैं तो वेतन में लिंग के आधार पर आपके साथ कोई भेदभाव नहीं किया जा सकता।
घरेलू हिंसा से सुरक्षा-इस अधिकार को महिलाओं के प्रति हिंसा को रोकने के लिए बनाया गया है। इसके तहत अगर किसी महिला के साथ उसके घर पर, ससुराल में कोई भी हिंसा होती है तो वह इसके खिलाफ केस दर्ज कर सकती है।

मातृत्व संबंधी अधिकार–इस अधिकार के तहत जब भी कोई महिला गर्भवती होती है तो उसे 26 सप्ताह की छुट्टी लेने काअधिकार है । इस दौरान महिला के वेतन में कोई कटौती नहीं की जाएगी। और वह फिर से काम शुरू कर सकती है।
रात में गिरफ्तार ना होने क अधिकार–इस कानून के तहत किसी भी महिला को कोई भी पुलिसकर्मी सूरज ढलने के बाद गिरफ्तार नहीं कर सकता है। इसके लिए पुलिसकर्मी को सूरज उगने का इंतेजार करना होगा।
काम पर हुए उत्पीड़न के खिलाफ अधिकार–काम पर हुए यौन उत्पीड़न अधिनियम के अनुसार आपको यौन उत्पीड़न के खिलाफ शिकायत दर्ज करने का पूरा अधिकार है।