बचपन से साहित्य पढ़ने में रूचि रखने वाले द्वारका भारती आज खुद साहित्य कार के रूप में जाने जाते है 10 पास भारती अब तक दस से अधिक पुस्तके लिख चुके है और एक उनकी अपनी आत्म कथा मोची है जिस पर पंजाब यूनिवर्सिटी चंडीगढ़ के दो छात्र रिसर्च कर रहे है भारती पेशे से एक मोची है । होशियारपुर स्तिथ नज़दीक मोहला सुभाष नगर की यह एक छोटी सी जूता बनाने वाली दुकान जिस में मोची का कार्य कर अपने परिवार का पेट 72 बर्षीय द्वारका भारती पालते है । द्वारका भारती को बचपन से सी साहित्य पढ़ने की लगन थी इस लगन ने उनको लेखक बना दिया आज उन्होंने अपनी 10 पुस्तके लिख कर साहित्य को अर्पण की है पेशे से चाहे वो मोची है लेकिन उनका मानना है की समाज में जो आप कार्य कर रहे है वो किसी वर्ग का विशेष नहीं है आज उनकी आत्म कथा मोची जिस पर पंजाब यूनिवर्सिटी चंडीगढ़ रिसर्च कर रही है वही इंधरा गाँधी ओपन यूनिवर्सिटी में उनकी लिखी कविता एमए पाठ कर्म में शामिल है उनका कहना है की बह एक दलित साहित्य लिखने वाले एक छोटे से लिखारी है और वो अपनी सेवा समाज को देते रहेंगे।